शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

बेदर्द जमाना......












हर पल मैरे नैना देखे तुझको चारो और !
धुंध  में छिपा हैं अक्स ,खोजू किस और !!  
चाहते बदल गई नफरते हैं चारो और !
इस मतलबी दुनिया में आदमी खोजू किस और !!
आदमी ही आदमी को खा रहा हैं चारो और !
जिस्म बना हैं कब्र ,कब्रस्तान खोजू किस और !! 
'दर्शन' बेदर्द जमाना हैं लोभी चारो और !
किसको पराया समझू मैं, अपना खोजू किस और !! 




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