शुक्रवार, 25 मई 2012

गुनगुनाती सुबह ....



सर्दियों की एक गुनगुनाती सुबह 



सर्दियों की एक गुनगुनाती सुबह में ....
एक टुकड़ा धुप जब मेरे आँगन में उतर आई ..
तो लगा, मेरी ठहरी हुई जिन्दगी में जैसे --
दबे पाँऊ झूमती हुई बयार  आ गई ...

मैं आज बहुत खुश हूँ ---
बाद -मुद्दत उनका सन्देश जो आया  ---
जो तक सुप्तावस्था थी मेरी ---
जैसे आज उसमें जान आ गई --

वो भी मुझसे प्यार करते हैं ??? 
जैसे जड़ -चेतना में मानो प्राण -प्रवाह आ गई !
मन के हर कोने  से ख़ुशी फूटने लगी अब ---
जैसे सूखे रेगिस्तान में चाहत की बरसात आ गई ---

तिनके - तिनके में समेटे थे उनकी यादों के पल ---
आज अचानक उन बीहड़ों में बहार  आ गई ...
मेरी जिन्दगी के हर पन्ने पर नाम हैं उसका 'दर्शी' 
वो लफ्ज़ चलने लगे उनमें  रवानगी आ गई .....!!!!


गुरुवार, 24 मई 2012

प्यार और दिल्लगी *****

..



चाहते ,प्यार, मस्ती  और  दिल्लगी 
अब ये  सब बाते गुजरे जमाने की लगती  
हमें कौन चाहेगा ..?
अब तो यह बातें झूठे फसाने की हैं ..!

 वो रूठना ,वो मनाना वो खिलखिलाना 
अब तो इन चीजों का नहीं कोई ठिकाना ..!


वो गलियों से गुजरना 
वो लड़कों का पीछे आना 
तिरछी निगाहों से उन्हें तकना 
फिर खुद ही शरमा जाना ...
अब कहाँ हैं वो बिजलियाँ गिराना 
अब कहाँ हैं  वो सब रूठना मनाना.....?

लटों को लहराकर बालों को झटकना 
फिर अदा से उन्हें जुड़े में फसाना 
पलकों की चिलमन से किसी को गिराना  
कभी निगाहों से किसी को सजदा करना 
अब कहाँ हैं वो अँखियो का लड़ाना ... 
कभी हंसना कभी खिलखिलाना .....
अब कहाँ हैं  वो सब रूठना मनाना ......? 











वो जलती दुपहरियां में कॉलेज को जाना
हमें देख लडको का सिटी बजाना 
गुस्से से नकली गुस्सा दिखाना 
फिर अपने ही अहम पर खुद मर जाना  
कभी किसी का समोसा खा जाना  
कभी किसी का प्रेम -पत्र  दिखाना  
कभी किसी की हवा को निकालना  
 कभी  भागकर साइकिल पर उड़ना 
वो मौजे -बहारे वो खिलखिलाना ..
अब कहाँ हैं वो रूठना मनाना .....?

पापा से बहाने बनाकर फिर पैसे  ऐठना 
चुपके से सिनेमा जाकर पिक्चर देखना 
भाभी की चम्मच बनकर गोलगप्पे खाना 
फिर मिर्ची का ठसका और आँखों का बहना 
 भैय्या से शाम को आइसक्रीम मंगाना   
कहाँ हैं वो बचपन वो हँसना- हँसाना 
वो कसमें -वादे वो खुशियों का खजाना 
अब कहाँ हैं वो रूठना मनाना .....?













आज  सबकुछ हैं पर वो साथ नहीं ?
साथी तो बहुत हैं पर वो बात नहीं ?

न वो प्यार न वो चाहतें ...
न वो हंसी न वो ठाहकें...

अब नहीं रही वो सुहानी जिन्दगी ...?
न कालेज का जमाना न खिलखिलाना  ...?
न कागज की नाव न बारिश का बरसना ...?
न दादी की कहानी न परियो का फसाना ..?
न सुबह की चिंता न शाम का ठिकाना ...?
न चाँद की चाहत न तितलियों का  दीवाना ..?
न खुशियों की बहार न हंसने का बहाना ...?
कहाँ गुम हो गया वो बचपन सुहाना ....?
वो वादे -बहारे वो अपना चहचहाना .......!!!









* कहाँ गुम हो गया वो बचपन का जमाना  *   



शुक्रवार, 4 मई 2012

मधुमास....

















पतझड़  को मधुमास  बनाती सुने वीराने में गाती ....

स्वर्ग ह्र्दय से दूर कहाँ था जो तेरा आश्रय पा जाती .....!

हंसते तो खिंल जाती कलियाँ पग -पग पर झडती फुलझड़ियाँ ...

  ये उदास अनजानी राहें बन जाती वृन्दावन गालियाँ ..!

मिल जाती मंजिल बांहों में धुल जाता अमृत चाहों में ..

हो जाता हर समय सुहाना साथ तेरा जो पा जाती ...!

एक नया संसार  बसाती एक नया इतिहास  रचाती ..

उदाहरण बन जाता मेरा जीवन जो तेरा सामप्य पा जाती ....!



काश, साथ तेरा जो पा जाती ????