बुधवार, 25 जनवरी 2012

चाहत .....

    

चाहते कम न थी यारब मेरे सीने में ....
तुमने  एक बार कहा तो होता .....








तुम किसी और के होकार भी मेरे दिल में बसे हो !
इस बात को सबको बता दूँ, यह जरूरी तो नहीं ?

प्यार गर तू मुझसे नहीं करता तो कोई बात नहीं -
दिल मेरा तुझको चाहता हैं यह बड़ी बात हैं ?

अपने जज्बातो को दफ्न करके आज कहती हु यारा -
दिल को दुखाना नहीं, यह प्यार से लबरेज़ हैं तुम्हारे लिए ?



अपनी वफ़ा की दास्ताँ हर कहीं,कही नहीं मैनें -
तुमसे पूछा तो,यू मुस्कुरा दिए- और बात टाल दी तुमने ?



मेरे प्यार की शमां,अब यही नसीब हैं मेरा --
दम भर में जैसे बुझ गई,पल भर में जैसे जल उठी ?



लाखो सवाल घिर आए हैं मेरे सामने या रब --
उनको सामने देखा तो तबियत मचल गई ????




शनिवार, 21 जनवरी 2012

मन-भावन मीत





कभी - कभी  हमको  अनजानी  राहों  में
मन-भावन  कुछ मीत हमें मिल जाते हैं

हौले हौले हवा चले तो हौले हौले  बात बढे
चलते चलते राहगीर दिल मे बस जाते हैं 

अंखियो से अंखियों की बातें अक्सर होती
उससे आगे बढ़ने  मे महीनो लग जाते हैं
    
मिलना और बिछड़ना जीवन की गति है
विदाई के क्षण तो नश्तर सा चुभ जाते हैं

बिना बजह सबसे मिलना हमको भाता है
विदा हुए वो भी सदैव दिल में बस जाते हैं      







शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

* लिहाफ *











पता नही मेरी राहें, तुझ तक पहुंच पाएंगी या नहीं !
जिन्दगी के मेले में बहुत देर बाद मिले तुम !!


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अपने आप को ख़ुशी का लिहाफ ओढा,
मैं खुद को बहुत सुखी समझती रही,
पर तुम्हारी एक प्यार -भरी 'दस्तक' ने
मेरे मोह को तोड़ डाला ,
छिन्न -भिन्न कर डाला ,
तुम्हारा दीवाना- पन !
मुझे पाने की ललक ! 
समर्पण की ऐसी भावना !
मुझे अंदर तक उद्वेलित कर गई ---!
मैं कब तक चुप रहती ?
कभी तो मेरी भावनाएं --
खुले आकाश में विचरण करने को मचलेगी !
अपने अस्तित्व को नकार कर --
मैनें तुम्हे 'हां' तो नही की मगर ,
तुमने एक झोंके की तरह ,
मेरी बिखरी जिन्दगी में प्रवेश किया, 
मुझे धरा से उठाकर अपनी पलकों पे सजाया ...
मै अपने अभिमान में चूर ..
तुम्हे 'न 'करती रही 
और तुम बड़ी सहजता से आगे बढ़ते रहे ---
कब तक ? आखिर कब तक ---
अपनी अतृप्त भावनाओं की गठरी को सम्भाल पाती ,
उसे तो गिरना ही था --

"जिसे चाहा वो मिला नही ?
   जो मिला उसे चाहा नही ?"

इस जीवन-रूपी नैया को ,
बिन पतवार मैं  कब तक खेऊ ,  
तुम मांझी बन, मुझे पार लगाओ तो जानू  ?

          तुम से मिलकर मेरी हसरते ! उमंगे जवान होने लगी                          
और मैं अपने वजूद के ,
एक -एक तिनके को समेटने लगी  -- 
लिहाफ  खुलने लगा है ----------???  




 * * लिहाफ खुलने लगा  * *