शुक्रवार, 4 मई 2012

मधुमास....

















पतझड़  को मधुमास  बनाती सुने वीराने में गाती ....

स्वर्ग ह्र्दय से दूर कहाँ था जो तेरा आश्रय पा जाती .....!

हंसते तो खिंल जाती कलियाँ पग -पग पर झडती फुलझड़ियाँ ...

  ये उदास अनजानी राहें बन जाती वृन्दावन गालियाँ ..!

मिल जाती मंजिल बांहों में धुल जाता अमृत चाहों में ..

हो जाता हर समय सुहाना साथ तेरा जो पा जाती ...!

एक नया संसार  बसाती एक नया इतिहास  रचाती ..

उदाहरण बन जाता मेरा जीवन जो तेरा सामप्य पा जाती ....!



काश, साथ तेरा जो पा जाती ????









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