मंगलवार, 13 मार्च 2012

प्यार ! प्यार !! प्यार !!!








  प्यार ! प्यार !! प्यार !!! 



"वो एक अलसाई हुई दोपहर थी******** 
मैं  गहरी नींद में******
सौ रही थी **** !
अचानक ****
तुम मेरे पहलु में आ गए ******
मैनें अधखुली आँखों से तुम्हें देखा *****
तुम मुस्कुरा रहे थे ********
मुझे प्यार से देख रहे थे ******
मैनें  जोर से तुम्हें ,
अपनी बांहों मै भींच लिया *******
अधरों से अधर मिले *******
और दिल से दिल ******
मानो, जन्मों की प्यास 'कुछ' ही पल में बुझ गई **** 
और मैं, तुम्हारे सीने से लगकर वापस सौ गई ******! 


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